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राजधानी के मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी को कोर्ट से झटका

अमरावती को राजधानी के तौर पर विकसित करने के मामले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च महीने में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया है. हाईकोर्ट ने सरकार से 6 महीने के भीतर अमरावती को राजधानी के तौर पर तैयार करने का आदेश दिया था.  न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न ने कहा कि अदालत 11 जुलाई को इस मुद्दे से जुड़ी अन्य याचिकाओं के साथ अनुरोध पर सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने राज्य विधानसभा में घोषणा की थी कि वह जुलाई से विशाखापत्तनम में शिफ्ट होंगे और वहीं से राज काज देखेंगे. 

बताते चलें कि 2014 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश से तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्रप्रदेश को 10 साल के अंदर नई राजधानी बनाने के आदेश दिए गए थे. 10 सालों तक दोनों ही राज्य हैदराबाद को राजधानी के तौर पर उपयोग करने वाले थे.उस समय राज्य के मुख्यमंत्री रहे चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती में एक विश्व स्तरीय ग्रीनफील्ड राजधानी के निर्माण की योजना बनाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था. राजधानी के लिए हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था और नई राजधानी के निर्माण के साथ बड़ी योजनाएं तैयार की गई थी. मई 2019 में जब रेड्डी मुख्यमंत्री बने, तो उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण में बड़े रियल एस्टेट घोटाले का आरोप लगाया और अमरावती में नई राजधानी की योजना भी बनाई और एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी को खत्म कर दिया.

बाद में रेड्डी विकेंद्रीकरण की घोषणा करते हुए एक नया कानून पारित किया और कहा कि राज्य की तीन राजधानियां होंगी - कुरनूल में एक न्यायिक राजधानी, अमरावती में एक विधायी राजधानी और विजाग में एक कार्यकारी राजधानी बनाई जाएगी. कानूनी  मुसीबत के बाद सरकार ने तब अपना विकेंद्रीकरण बिल वापस ले लिया और नवंबर में एपीसीआरडीए को रद्द कर दिया. 

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मार्च 2022 में अमरावती के किसानों के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें छह महीने में राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम में दिए गए मास्टर प्लान के अनुसार अमरावती में राजधानी बनाने के लिए कहा गया था. जिसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां से एक बार फिर राज्य सरकार को झटका लगा. 

अदालत का फैसला किसानों द्वारा दायर कई याचिकाओं के जवाब में आया है. किसानों ने अमरावती में एक भव्य राजधानी विकसित करने के लिए चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा पारित सीआरडीए अधिनियम को रद्द करने को चुनौती दी थी, और जिसके लिए उन्होंने भूमि दिया था.  मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने विकेंद्रीकरण अधिनियम और आंध्र प्रदेश सीआरडीए अधिनियम को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना अंतिम फैसला सुनाया था. 

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